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Stool Examination

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स्टूल परीक्षण, जिसे मल परीक्षण भी कहा जाता है, एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें मल के नमूने की जांच की जाती है ताकि पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों या समस्याओं का पता लगाया जा सके। इस परीक्षण का उपयोग संक्रमण, पाचन संबंधी समस्याओं, रक्तस्राव, और पेट के विभिन्न रोगों के निदान के लिए किया जाता है।

 स्टूल परीक्षण क्यों किया जाता है?

1. संक्रमण का पता लगाने के लिए: बैक्टीरिया, वायरस, या परजीवी संक्रमण की पहचान करने के लिए।

2. पाचन समस्याओं का मूल्यांकन: जैसे कि लैक्टोज इनटॉलेरेंस, सीलिएक रोग, या क्रोहन रोग।

3. अवशोषण की कमी:  वसा, प्रोटीन, या अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण की कमी का पता लगाने के लिए।

4. खून की जांच: पेट के अल्सर, कैंसर, या अन्य गंभीर स्थितियों का पता लगाने के लिए।

 स्टूल परीक्षण कैसे किया जाता है?

1. नमूना संग्रह: आपको एक साफ कंटेनर में अपने मल का नमूना देना होगा।

2. परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है: नमूने को प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां इसका सूक्ष्म जैविक, रासायनिक और शारीरिक परीक्षण किया जाता है।

स्टूल जांच के प्रकार:

1. रूटीन माइक्रोस्कोपिक जांचल में रक्त, म्यूकस (श्लेष्मा), पुस (पीप), अंडे (परजीवी अंडे), या अन्य असामान्य तत्वों की जांच की जाती है।

2. कल्चर टेस्ट: मल के नमूने में बैक्टीरिया की पहचान के लिए इसे विशेष माध्यम में उगाया जाता है ताकि संक्रमण का कारण पता चल सके।

3. ओवा और परजीवी परीक्षण (O&P टेस्ट): इस जांच में मल में उपस्थित परजीवियों और उनके अंडों की पहचान की जाती है।

4. गुयाक टेस्ट (Guaiac test) या फेकल ओकल्ट ब्लड टेस्ट (FOBT): इस टेस्ट के माध्यम से मल में छिपे हुए रक्त का पता लगाया जाता है।

5. फेट स्टूल टेस्ट: इस जांच में मल में वसा की मात्रा को मापा जाता है, जो कि पाचन तंत्र से संबंधित समस्याका संकेत हो सकता है।

1. आंत्रपरजीवी कीड़े (Intestinal Helminths):

   – गोल कृमि (Roundworms): इनमें एस्केरिस लुम्ब्रिकोइड्स (Ascaris lumbricoides) और एन्किलोस्टोमा (Ancylostoma) जैसे कीड़े शामिल होते हैं।

   – फीता कृमि (Tapeworms): तैनीया सोलियम (Taenia solium) और तैनीया साजिनाटा (Taenia saginata) जैसे परजीवी इसमें आते हैं।

  2. प्रोटोजोआ परजीवी (Protozoan Parasites):

  – एंटअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica): यह परजीवी आंतों में अमीबियासिस का कारण बनता है।

  – जियार्डिया लाम्ब्लिया (Giardia lamblia): इस परजीवी के कारण जियार्डियासिस होता है।

   इन परजीवियों की पहचान आमतौर पर लैब में मल के नमूने के परीक्षण द्वारा की जाती है।स्टूल में परजीवी (पैरासाइट्स) का उपचार अक्सर संक्रमण के प्रकार और परजीवी की पहचान के आधार पर किया जाता है। 

1. पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स: शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) को रोकने के लिए, मौखिक पुनर्जलीकरण घोल (ORS) या इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन किया जाना चाहिए।

2. स्वच्छता और साफ-सफाई: व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें, जैसे कि भोजन से पहले और शौच के बाद हाथ धोना।

– साफ और शुद्ध पानी पिएं, और फल-सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं। आहार दही, अदरक, हल्दी और लहसुन जैसे प्राकृतिक तत्व लाभकारी हो सकते हैं।  

3. डॉक्टर की सलाह: हमेशा किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श लें और उनकी सलाह के अनुसार ही दवा का सेवन करें।

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