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Aplastic Anemia

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एप्लास्टिक एनीमिया

एप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और गंभीर रक्त विकार है, जिसमें अस्थि मज्जा (Bone Marrow) पर्याप्त मात्रा में रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में विफल हो जाती है। अस्थि मज्जा हमारे शरीर की वो जगह है जहाँ लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Cells), सफेद रक्त कोशिकाएँ (White Blood Cells), और प्लेटलेट्स (Platelets) का निर्माण होता है। एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति में इन तीनों प्रकार की रक्त कोशिकाओं की संख्या बहुत कम हो जाती है, जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार की जटिलताएँ उत्पन्न होती है।

यह विकार मेडिकल छात्रों के लिए समझना जरूरी है क्योंकि इसका सही और समय पर निदान और उपचार जीवन बचाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

एप्लास्टिक एनीमिया के कारण

एप्लास्टिक एनीमिया के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: अर्जित (Acquired) और वंशानुगत (Inherited) । अर्जित एप्लास्टिक एनीमिया अधिक सामान्य होता है, जबकि वंशानुगत रूप जन्म से ही होता है।

अर्जित एप्लास्टिक एनीमिया:

रसायनों के संपर्क में आना: बेंजीन जैसे रसायनों और कीटनाशकों के संपर्क से अस्थि मज्जा को नुकसान हो सकता है।

दवाइयाँ: कुछ दवाइयाँ, विशेष रूप से कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली, अस्थि मज्जा के कार्य को दबा सकती हैं।

संक्रमण: हेपेटाइटिस, एप्स्टीन-बार वायरस (EBV), और एचआईवी जैसी वायरल संक्रमण भी इस विकार का कारण बन सकते हैं।

तंरग विकिरण और कीमोथेरेपी: कैंसर के उपचार के लिए दी जाने वाली इन विधियों से अस्थि मज्जा को गंभीर क्षति हो सकती है।

ऑटोइम्यून विकार: कई मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अस्थि मज्जा पर हमला करती है, जिससे रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बंद हो जाता है।

वंशानुगत एप्लास्टिक एनीमिया:

फैंकोनी एनीमिया और श्वाचमन-डायमंड सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक विकृतियाँ अस्थि मज्जा के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे इस प्रकार का विकार उत्पन्न होता है।

एप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण

एप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण रक्त कोशिकाओं की कमी से उत्पन्न होते हैं, जो निम्न प्रकार के होते हैं:

थकान और कमजोरी: लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे थकान, सांस की कमी, और त्वचा का पीला होना होता है।

अक्सर संक्रमण होना: सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है।

खून का बहना और चोट लगना: प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में छोटे-छोटे धक्के से भी खून निकलने लगता है और चोट आसानी से लग जाती है।

अन्य लक्षण: सिरदर्द, चक्कर आना, हृदय की धड़कन का तेज होना, और ठंडे हाथ-पैर भी इस विकार के लक्षण हो सकते हैं।

निदान (Diagnosis) के तरीके

एप्लास्टिक एनीमिया एक जटिल और गंभीर स्थिति है, जिसका सटीक और समय पर निदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस प्रक्रिया में मेडिकल लैब तकनीशियन (MLT) की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। लैब तकनीशियन विभिन्न प्रकार के परीक्षणों को करने और उनकी सटीकता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। एप्लास्टिक एनीमिया का निदान कई परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है:

कम्पलीट ब्लड काउंट (CBC): यह परीक्षण शरीर में लाल, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की मात्रा को मापता है। तीनों प्रकार की रक्त कोशिकाओं की कम संख्या एप्लास्टिक एनीमिया का संकेत हो सकती है।

अस्थि मज्जा बायोप्सी: इस प्रक्रिया में अस्थि मज्जा का एक छोटा सा नमूना लेकर सूक्ष्मदर्शी (Microscope) के माध्यम से उसकी जाँच की जाती है। एप्लास्टिक एनीमिया में अस्थि मज्जा में कोशिकाएँ या तो बहुत कम होती हैं या पूरी तरह अनुपस्थित होती है।

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