logo icon

Effect of Pasteurization

About Image
September 21, 2024

पाश्चुरीकरण का प्रभाव

पाश्चुरीकरण एक महत्वपूर्ण खाद्य प्रसंस्करण तकनीक है जो दूध और अन्य तरल पदार्थों को हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से मुक्त करने के लिए उपयोग की जाती है। इसका नाम प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुइ पाश्चर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 19वीं सदी में इस प्रक्रिया का विकास किया। पाश्चुरीकरण का मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और उनकी शेल्फ लाइफ (अवधि) बढ़ाना है।

लुइ पाश्चर ने 1860 के दशक में पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया को विकसित किया। इस प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य दूध में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मारना था, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया में दूध या अन्य तरल पदार्थ को उच्च तापमान पर थोड़े समय के लिए गर्म किया जाता है और फिर जल्दी से ठंडा कर दिया जाता है। इसका सामान्य तापमान 63°C (145°F) होता है, और इसे 30 मिनट तक गर्म किया जाता है, जिसे ‘लंबी समय-निम्न तापमान पाश्चुरीकरण’ कहते हैं। एक अन्य विधि, जिसे ‘उच्च तापमान-छोटे समय पाश्चुरीकरण’ (HTST) कहते हैं, में तरल पदार्थ को 72°C (161°F) पर 15 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है।

पाश्चुरीकरण के विभिन्न प्रकार हैं:

  1. लंबा समयनिम्न तापमान (LTLT): इस विधि में दूध को 63°C (145°F) पर 30 मिनट तक गर्म किया जाता है।
  2. उच्च तापमानछोटा समय (HTST): इस विधि में दूध को 72°C (161°F) पर 15 सेकंड तक गर्म किया जाता है। यह विधि आमतौर पर व्यावसायिक रूप से उपयोग की जाती है।
  3. अल्ट्रा हाई टेम्परेचर (UHT): इस विधि में दूध को 135°C (275°F) पर 2-5 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है, जिससे इसे बिना ठंडा किए लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। 
  4. पारंपरिक पाश्चुरीकरण: इसमें दूध को 63°C (145°F) पर 30 मिनट तक गर्म किया जाता है। यह प्रक्रिया अधिकांश बैक्टीरिया और वायरस को मार देती है।

पाश्चुरीकरण हानिकारक बैक्टीरिया जैसे कि सैल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई. कोलाई को मारता है, जो खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पाश्चुरीकरण से दूध और अन्य तरल पदार्थ की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है, जिससे वे लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं। पाश्चुरीकरण से दूध की गुणवत्ता पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, और इसका स्वाद एवं पोषण तत्व अधिकांशतः बनाए रहते हैं।

सालों से पाश्चुरीकरण खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन नई तकनीकों और अनुसंधानों के माध्यम से इसे और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता है। वर्तमान में, उच्च तापमान और कम समय की पद्धतियों पर जोर दिया जा रहा है, जो पोषक तत्वों को बनाए रखते हुए अधिक प्रभावी रूप से सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर सकती हैं। इसके अलावा, नए तरीकों जैसे कि पल्स्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स (PEMF) और हाई प्रेशर प्रोसेसिंग (HPP) पर भी शोध हो रहा है, जो खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को और भी बेहतर बना सकते हैं।

पाश्चुरीकरण एक सरल लेकिन प्रभावशाली तकनीक है जो खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बनाने में मदद करती है। इसकी प्रक्रिया और लाभों के बारे में जानकर हम समझ सकते हैं कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे वह दूध हो या अन्य तरल पदार्थ, पाश्चुरीकरण ने खाद्य सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है और यह सुनिश्चित किया है कि हम स्वच्छ और सुरक्षित खाद्य पदार्थ का आनंद ले सकें।

लेब टेक्नीशियनों की प्रयोगशाला में पाश्चुरीकरण प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है।  वे कच्चे दूध या अन्य तरल पदार्थों की गुणवत्ता की जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है। पाश्चुरीकरण में इस्तेमाल होने वाले मशीनों और उपकरणों का सही तरीके से संचालन और मेंटेनेंस उनकी जिम्मेदारी होती है। वे सुनिश्चित करते हैं कि उपकरण सही तापमान पर काम कर रहे हैं।

पाश्चुरीकरण प्रक्रिया के दौरान दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है। लेब टेक्नीशियन इस तापमान को सही तरीके से नियंत्रित करते हैं ताकि सभी हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं लेकिन दूध की गुणवत्ता बनी रहे। लेब टेक्नीशियन नियमित अंतराल पर दूध के नमूने लेते हैं और उन्हें प्रयोगशाला में जांचते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाश्चुरीकरण सही तरीके से हो रहा है। वे पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड रखते हैं, जिसमें तापमान, समय और गुणवत्ता नियंत्रण संबंधी जानकारी शामिल होती है।

पाश्चुरीकरण प्रक्रिया के दौरान उच्च स्तर की स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक होता है, जिसे सुनिश्चित करने का काम भी लेब टेक्नीशियन करते हैं।इन सभी कार्यों के जरिए लेब टेक्नीशियन यह सुनिश्चित करते हैं कि पाश्चुरीकरण प्रक्रिया से सुरक्षित और गुणवत्ता वाला उत्पाद प्राप्त हो।

Recent Blogs

September 12, 2025

नवजात शिशुओं में हीमोलिटिक रोग - DPMI India

Read More
September 10, 2025

Mocktail Magic: How F&B Staff Can Elevate the Guest Experience

Read More
September 06, 2025

Importance of Patient Safety in Radiation Treatment

Read More
August 13, 2025

How Internships Can Boost Your Paramedical Career

Read More
August 03, 2025

Top Career Opportunities for Paramedical Students After 10th and 12th - DPMI India

Read More

DELHI PARAMEDICAL & MANAGEMENT INSTITUTE (DPMI)