आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन में सवारें अपना करियर
आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन में सवारें अपना करियर: आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन जिसे हम अंग्रेजी में इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन कहते हैं, एक चिकित्सा निदेशक चिकित्सक की देखरेख में सेटिंग्स की एक किस्म में काम करते हैं। इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन हॉस्पिटल या हॉस्पिटल के बाहर आपातकालीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित प्रदाता होते हैं। इमरजेंसी चिकित्सकों को आपात स्थितियों में जैसे कोई दुर्घटना का क्षेत्र, या आपदा क्षेत्र में जल्द से जल्द प्रतिक्रिया लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। ये तकनीशियन ज्यादातर एम्बुलेंस में ही पाए जाते हैं क्योंकि आपातकालीन स्तिथियों में एम्बुलेंस ही सबसे पहले पहुँचती है और ये तकनीशियन इसी स्तिथि के लिए प्रशिक्षित किये जाते हैं। एम्बुलेंस, सरकारी और अस्पतालों में सेवाओं के अलावा ये दमकल विभागों और पुलिस विभाग में भी काम करते हैं। तकनीशियन अभ्यास के एक सीमित दायरे के तहत कार्य करते हैं। ये चिकित्सा निदेशक की निगरानी में काम करते हैं।
नेचर ऑफ़ वर्क
इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन का काम भावनात्मक रूप के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी मांग में है। इन्हें सप्ताहांत, इमरजेंसी केयर असिस्टेंट्स, पैरामैडिक, पुलिस और अग्निशमन के साथ संयोजन के रूप में काम करना पड़ता है। इन तकनीशियन को आम तौर पर अस्पताल परिवहन सेवाओं, एम्बुलेंस सेवाओं, बचाव और आग विभागों, और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए कार्यरत किया जाता है। कई बार आपात स्थिति के दौरान तकनीशियन के कंधो पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ जाता है और काम काफी तनावपूर्ण भी हो जाता है। इस पेशे में काम करने की वजह से ये चोटों और संक्रामक रोगों के संपर्क में भी आ जाते है लेकिन यह करियर लोगों की जान बचाने के बाद एक मानसिक संतुष्टि भी देता है।
कर्तव्य और उत्तरदायित्व
आपदा क्षेत्र में पहुंचकर पीड़ितो को हॉस्पिटल पहुँचाने से पहले उनका प्राथमिक उपचार करते हैं, पीड़ित की हालात का मूल्यांकन करके उनके उपचार का निर्धारण करते हैं, पीड़ित की हालत को स्थिर करने के लिए उनके घाव में पट्टी बांधते हैं, बहते हुए खून को नियंत्रित करते हैं, इस्तेमाल हो रहे चिकित्सा उपकरणों का ध्यान रखना और ख़राब होने पर उन्हें समय पर बदलना, हॉस्पिटल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पीड़ित को जल्द से जल्द पहुँचाना, पीड़ित की ट्रीटमेंट और उसको दी जाने वाली दवाइयों की रिपोर्ट तैयार करना, किसी संक्रमित पीड़ित को लाने के बाद एम्बुलेंस की सफाई करना और उसे जीवाणु रहित बनाना, एम्बुलेंस में इस्तेमाल हुए कम्बल और कपड़ो को हटाकर साफ़ कपड़े लगाना, पीड़ित के परिवार वालो को सहानुभूति देते हुए उन्हें शांत रखना, मेडिकल एजेंसीज द्वारा आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में हिस्सा लेना और चिकित्सा से सम्बंधित नयी चीजो को सीखना एक इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन का काम होता है।
कोर्स एवं योग्यता
डीपीएमआई की प्रिंसिपल अरूणा सिंह के मुताबिक इस कोर्स में डिप्लोमा के लिए अभ्यर्थी का किसी भी संकाय वा किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। कोर्स के दौरान उन्हें आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध करना है, उनकी तीमारदारी और सेवा कैसे की जाती है उसकी सीख दी जाती है। वे आपदा या महामारी फैलने की स्थिति में कैसे और किस हद तक तत्पर रहें। उन्हें महामारी या आपदा पर नियंत्रण करने, जख्मी होने, या उनका उपचार कैसे किया जाए व उससे कैसे निपटा जाए उसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इस फील्ड में आप एसएससी के द्वारा भी परीक्षा देकर किसी भी सरकारी पद के लिए आवेदन कर सकते है।
अवसर
इस कोर्स के बाद अभ्यर्थी के लिए सरकारी और गैरसरकारी विभागों में कई अवसर खुल जाते हैं। आपदा स्तिथि में सबसे ज्यादा जरुरत मेडिकल सहयोगियों की होती है जिसमे यही तकनीशियन मेडिकल सुविधाएँ प्रदान कराने में काम आते हैं। इस कोर्स के बाद सरकारी एम्बुलेंस सेवाओं में, सरकारी अस्पतालो के आपातकालीन विभागों में, गैर सरकारी संस्थाओं में अभ्यर्थी रोजगार प्राप्त कर सकता है।
वेतन
इस क्षेत्र में न्यूनतम सैलरी 10 से 15 हजार होती है और तजुर्बे के साथ साथ सैलरी में भी इजाफा होता चला जाता है। सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों में यह तकनीशियन अपने अनुभव के बाद अधिकारी पद के लिए भी आवेदन कर सकते है जिसमे न्यूनतम सैलरी 40 से 50 हज़ार तक होती है।