फ्रोजन सेक्शन एक विशेष प्रयोगशाला तकनीक है जिसका उपयोग ऊतक (टिशू) के शीघ्र निदान (डायग्नोसिस) के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया का तकनीकी नाम क्रायोसेक्शन है।यह प्रक्रिया मुख्य रूप से ओंकोलोजिकल सर्जरी के दौरान रोग की उपस्थिति की पुष्टि करने, कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और सर्जिकल मार्जिन (शल्य चिकित्सा के दौरान हटाए गए ऊतक की सीमा) की जाँच करने के लिए की जाती है। इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से पैथोलॉजी प्रयोगशाला में किया जाता है।
फ्रोजन सेक्शन की प्रक्रिया
फ्रोजन सेक्शन प्रक्रिया में ऊतक के एक छोटे हिस्से को जल्दी से फ्रीज किया जाता है और फिर उसकी बहुत पतली परतें काटकर माइक्रोस्कोप के नीचे जांच की जाती हैं। इस प्रक्रिया के प्रमुख चरण इस प्रकार हैं:
- ऊतक का संग्रहण (Tissue Collection) – सर्जरी के दौरान शरीर के प्रभावित क्षेत्र से ऊतक का एक नमूना लिया जाता है।
- ऊतक को फ्रीज (freeze) करना – ऊतक को तुरंत तरल नाइट्रोजन या किसी अन्य ठंडक माध्यम (जैसे ऑक्टोमोल) में रखकर जमा दिया जाता है।
- ऊतक की स्लाइसिंग – फ्रोजन ऊतक को एक विशेष उपकरण जिसे ‘क्रायोस्टेट’ कहा जाता है, उसमें रखा जाता है और उसकी बहुत पतली परतें काटी जाती हैं। कटाई के बाद इन परतों को शीशे की स्लाइड पर रखा जाता है।
- ऊतक की स्टेनिंग (Staining) – स्लाइड पर रखे ऊतक को विशेष स्टेन “हेमटोक्सिलिन और एओसीन” (H & E stain) से रंगा जाता है। यह उत्तक के विभिन्न भागो को अलग-अलग रंगो में दिखता है, जिससे कोशकाओ का विश्लेषण आसान हो जाता है।
- माइक्रोस्कोप द्वारा जांच (Microscopic Examination) – रोगविज्ञानी (Pathologist) माइक्रोस्कोप के माध्यम से ऊतक की संरचना और किसी संभावित रोग (जैसे कैंसर) की उपस्थिति की जांच करते हैं।
- रिपोर्टिंग (Reporting) – पैथोलॉजिस्ट बहुत कम समय (लगभग 10-15 मिनट) में रिपोर्ट प्रदान कर देते हैं, जिससे सर्जन को तुरंत निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
फ्रोजन सेक्शन के उपयोग
- कैंसर निदान (Cancer Diagnosis) – डॉक्टर यह पता लगा सकते है की उत्तक सौम्य (Benign) है या घातक (Malignant) इससे आगे चिकित्सा योजना बनाने में मदद मिलती है
- सर्जिकल मार्जिन की जाँच – यह सुनिश्चित करने के लिए कि सर्जरी में कैंसरग्रस्त ऊतक पूरी तरह से हटाया गया है या नहीं।
- संक्रामक रोगों की जांच – कुछ बैक्टीरियल या वायरल संक्रमणों के निदान के लिए।
- ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन (Organ Transplantation) – प्रत्यारोपित अंग की ऊतक संगतता की पुष्टि के लिए।
फ्रोजन सेक्शन के लाभ
- शीघ्र निदान – पारंपरिक ऊतक परीक्षण (पैराफिन एम्बेडेड प्रक्रिया) की तुलना में यह बहुत तेज़ है।
- सर्जरी के दौरान निर्णय लेने में मदद – जिस से डॉक्टर तुरंत निर्णय लेकर सर्जरी के दौरान सही निर्णय ले सके।
- लाइव ऊतक संरचना का अध्ययन संभव – यह तकनीक कोशिकाओं की अधिक वास्तविक स्थिति दिखाती है।
सीमाएँ और चुनौतियाँ
- गुणवत्ता में कमी – फ्रोजेन सेक्शन में ऊतक जल्दी जमाया जाता है, जिससे उसकी संरचना थोड़ी बिगड़ सकती है तथा पारम्परिक पैराफिन एम्बेडिंग की तुलना में स्टैनिंग की
गुणवत्ता कम हो सकती है - तकनीकी कौशल की आवश्यकता – यह प्रक्रिया अत्यधिक सटीकता की मांग करती है।
- सीमित उपयोग – सभी प्रकार के ऊतकों में यह तकनीक प्रभावी नहीं होती।
निष्कर्ष
फ्रोजन सेक्शन एक महत्वपूर्ण नैदानिक तकनीक है जो विशेष रूप से कैंसर और अन्य गंभीर रोगों के त्वरित विश्लेषण के लिए उपयोगी होती है।