बनें कार्डियक केयर तकनीशियन: कार्डियक केयर तकनीशियन जिसे हम कार्डियोवैस्कुलर टेक्नोलॉजिस्ट भी कह सकते है। यह मेडिकल की फील्ड का सबसे बेहतरीन करियर आप्शन है, जिसे वो युवा कर सकते हैं जो मेडिकल की फील्ड में करियर तलाश रहे हों पर वह नर्स या पूर्ण रूप से डॉक्टर नहीं बनना चाहते। कार्डियक केयर तकनीशियन एक मेडिकल प्रोफेशनल्स की तरह काम करते हैं जो मरीजों का विभिन्न तरह के टेस्ट्स करते हैं और जो मरीजों की डायग्नोसिस में डॉक्टर की मदद करता है। इन तकनीशियन के बगैर हृदय सर्जन या विशेषज्ञ को आंशिक रूप से विकलांग कहना गलत नहीं होगा, एक तरह से यह विशेषज्ञों के आंख और हाथ होते हैं।

अगर संक्षेप में बात करें तो यह तकनीशियन मरीजों की रिपोर्ट्स के विश्लेषण से लेकर उनके दिल की देखभाल का ख्याल रखने तक सारा काम करते हैं। ज्यादातर कार्डियक तकनीशियन हॉस्पिटल्स में डायग्नोज़ की प्रक्रिया, वैस्कुलर प्रॉब्लम्स, और ह्रदय रोगों के निदान में फिजिशियन की सहायता करते हैं। इनका यह काम प्रशिक्षण और अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है, यह तकनीशियन इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईकेजी) और प्रशिक्षण भी करते हैं। अनुभव के बाद यह तकनीशियन ओपन हार्ट सर्जरी में सर्जन्स की मदद करते हैं। अगर हेल्थकेयर सेक्टर की बात की जाए तो कार्डियक केयर तकनीशियन में करियर बनाना कैंडिडेट के लिए बहुत ही बेहतर चुनाव हो सकता है। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए बहुत सारे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री प्रोग्राम्स हैं जो इस फील्ड में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को इस कार्य में अनुभवी बनाने में मदद करता है।

बनें कार्डियक केयर तकनीशियन

जॉब प्रोफाइल

दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की प्रिंसिपल अरुणा सिंह के मुताबिक एक कार्डियक केयर तकनीशियन हॉस्पिटल में रह कर मरीजों के दिल और रक्त वाहिकाओं के रोगों के निदान और उपचार के द्वारा सर्जन की सहायता करना ही इसका मुख्य कार्य होता है। दिल और वाहिकाओं के उपचारात्मक उपायों के निष्पादन में सहायता करना, इनवेसिव और गैर-इनवेसिव नैदानिक परीक्षाओं के पिष्पादन में सहायता करना भी एक तकनीशियन का कर्तव्य होता है।

जरुरी स्किल्स

हॉस्पिटल में बतौर तकनीशियन काम करने के लिए कुछ प्रैक्टिकल स्किल्स का आना बेहद जरुरी होता है क्योंकि एक कार्डियक केयर तकनीशियन ऑपरेशन के वक़्त डॉक्टर के दायें हाथ की तरह काम करता है, उससे होने वाली एक छोटी सी भूल मरीज की ज़िन्दगी दाव पर लगा सकती है इसलिए सभी परिस्थितियों से निपटने और मशीनों की जानकारी रखना अवश्य होता है जैसे मॉनिटर और रिकॉर्डर में तार जोड़ने के बारे में ज्ञान, और बेहतर कनेक्शन सुनिश्चित करने के लिए रीदम स्ट्रीप या लीड ट्रेसिंग रिकॉर्ड करने का ज्ञान, तकनीकी ज्ञानके लिए ईसीजी वेवफॉर्म की पहचान करने में प्रवीणता, आर्टफैक्ट फ्री ट्रेसिंग और सही लीड स्थापन सुनिश्चित करने की बुद्धिमत्ता, लीड हटाने और सेंसर साइटों को साफ करने के तरीके के बारे में ज्ञान, ड्रेसिंग साधनों में आवश्यक सहायता प्रदान करने की क्षमता, फिनिशिंग आपरेशनों की सहायता में व्यवहार किए जाने वाले विभिन्न सामग्रियों की पहचान करने में निपुण, उपकरण संचालन प्रक्रियाओं का ज्ञान, मानव शरीर का एनाटोमी और फिजियोलॉजी, विशेषतः कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम से संबंधित, के साथ अच्छी तरह से वाकिफ होना। अगर व्यक्तिगत खासियतों की बात की जाए तो तकनीशियन में नवोन्वेषी दृष्टिकोण के साथ अभिप्रेरित व्यक्ति होना आवश्यक है साथ ही उत्तम संगठनात्मक और समय प्रबंधन कौशल होना चाहिये इसके अलावा पैनी दृष्टि भी होनी चाहिये यदि आपमें यह सभी तरह के ज्ञान हैं तो आप एक अच्छे तकनीशियन के तौर पर काम कर सकते हैं और इस करियर में उच्चाईयों तक पहुंच सकते हैं।

योग्यता

इस फील्ड में कोर्स करने के लिए कैंडिडेट का 12वीं साइंस साइड और मान्यता प्राप्त बोर्ड से पास होना आवश्यक है इसके अलावा कई कॉलेज इस फील्ड में सर्टिफिकेट कोर्सेज भी उपलब्ध करते हैं जिसे मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास कैंडिडेट भी करके करियर बना सकता है। अगर कैंडिडेट इस फील्ड में निपुणता हासिल करना चाहता है तो वह 12वीं के बाद बैचलर ऑफ़ साइंस मतलब बी।एससी इन कार्डियक केयर टेक्नोलॉजी भी कर सकता है और अपने करियर को एक बेहतर रूप दे सकता है।

सैलरी

पैरामेडिकल की बढ़ती मांग को देखते हुए देश में ही नही बल्कि विदेशों से भी पैरामेडिक्स की डिमांड आ रही है। देश भर में सरकारी के अलावा प्राइवेट अस्पतालों की बढ़ती कतारों को देखते हुए ये आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस फील्ड में नौकरियों की भरमार सी आ गयी है। वेतन की बात करें तो शुरूआती तौर पर एक कार्डियक केयर तकनीशियन मासिक 20 से 30 हज़ार रूपए तक कमा सकता है और अनुभव के आधार पर इसमें बढ़ोतरी होती जाती है। इसके अलावा कैंडिडेट सरकारी अस्पतालों में भी परीक्षा देकर आसानी से नौकरी पा सकता है।

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